फतेहपुर : शीतलहर के कारण कक्षा 6 से 12 तक के समस्त विद्यालय 30.12.2017 से 02.01.2018 तक बन्द रहेंगे, जिला विद्यालय निरीक्षक ने जारी किया आदेश
फतेहपुर : शीतलहर के कारण कक्षा 1 से 8 तक के समस्त विद्यालय 02 जनवरी 2018 तक रहेंगे बन्द, आदेश की प्रति देखें
जनवरी के दूसरे हफ्ते में हो सकती है अंतरजनपदीय तबादले प्रक्रिया की शुरुआत, बेसिक शिक्षकों को मिल सकता है तोहफा ऐसे तय होंगे गुणवत्ता अंक :
जनवरी के दूसरे हफ्ते में हो सकती है अंतरजनपदीय तबादले प्रक्रिया की शुरुआत, बेसिक शिक्षकों को मिल सकता है तोहफा
ऐसे तय होंगे गुणवत्ता अंक :
राज्य ब्यूरो, लखनऊ पिछले साल अंतर जिला तबादले से वंचित रह गए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की यह मुराद नए साल में पूरी होने के आसार हैं। जनवरी के दूसरे हफ्ते में परिषदीय शिक्षकों के अंतर जिला तबादला प्रक्रिया की शुरुआत हो सकती है। बेसिक शिक्षा विभाग में इस पर सहमति बन गई है। अंतर जिला तबादलों के लिए शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। तबादले के लिए वरीयता गुणवत्ता अंक के आधार पर तय की जाएगी।
शासन ने चालू शैक्षिक सत्र में परिषदीय (बेसिक) शिक्षकों के अंतर जिला तबादले की नीति जून में जारी की थी। नीति में कहा गया था कि अपनी तैनाती वाले जिले में 31 मार्च, 2017 तक पांच साल की संतोषजनक सेवा पूरी करने वाले नियमित शिक्षक ही चालू शैक्षिक सत्र में दूसरे जिले में तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे। शर्त यह भी थी कि शिक्षक ने पहले कभी अंतर जिला तबादले का लाभ न लिया हो। न ही उन्हें विभागीय कार्यवाही के तहत दंडित किया गया हो। अंतर जिला तबादले की प्रक्रिया जिले के अंदर शिक्षकों का समायोजन/स्थानांतरण पूरा होने के बाद ही शुरू होनी थी लेकिन, ऐसा हो नहीं पाया। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस दिशा में फिर कदम बढ़ाने का मन बनाया है।
अंतर जिला तबादलों के इच्छुक अध्यापकों को ऑनलाइन आवेदन में वरीयता क्रम में तीन जिलों का विकल्प देना होगा। स्थानांतरण चाहने वाले शिक्षकों का तबादला उनके अधिमान क्रम में प्रथम विकल्प के तौर पर किया जाएगा।
इसके बाद उनका स्थानांतरण उनके द्वितीय विकल्प और बाकी बचे अध्यापकों का उनके तीसरे विकल्प के आधार पर किया जाएगा। यदि पति-पत्नी दोनों में से कोई एक प्रदेश सरकार की सेवा में हो तो उन्हें यथासंभव एक ही जिले में तैनाती दी जाएगी। शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन के साथ संबंधित दस्तावेज भी अपलोड करने होंगे।
शिक्षकों के अंतर्जनपदीय तबादले होंगे गुणवत्ता अंक पर आधारित, यह होंगे गुणवत्ता अंक के आधार
ऐसे तय होंगे गुणवत्ता अंक :
दिव्यांगता के लिए पांच अंक
स्वयं या पति/पत्नी या बच्चे के असाध्य/गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने पर पांच अंक
महिला शिक्षक के लिए पांच अंक
सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए एक अंक (अधिकतम 35 अंक):
सेवाकाल के आधार पर यदि दो शिक्षकों के समान अंक होते हैं और केवल एक का ही तबादला किया जा सकता है तो ऐसी स्थिति में उनमें से अधिक आयु वाले अध्यापक को वरीयता दी जाएगी।
जिला स्तर पर विशिष्ट नवाचार नहीं बता रहे बीएसए
जिला स्तर पर विशिष्ट नवाचार नहीं बता रहे बीएसए
इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पठन-पाठन का अंदाजा सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि शैक्षिक क्षेत्र में नवाचार करने वालों की रिपोर्ट बेसिक शिक्षा अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। शिक्षा निदेशक बेसिक ने बीएसए को भेजे कड़े पत्र में लिखा है कि ऐसा लगता है कि उनके स्तर पर इस दिशा में कोई कार्य ही नहीं हुआ है। अब फिर रिपोर्ट भेजने का आदेश हुआ है। परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षण कार्य में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पांच शिक्षकों का अलग-अलग समूह तैयार करके विकासखंड स्तर पर कार्यरत सभी शिक्षकों को चरणबद्ध तरीके से नवाचारों का प्रस्तुतीकरण करने का आदेश हुआ था। साथ ही जिले स्तर पर विशिष्ट नवाचार चिह्न्ति करके समूह गठन की सूचना शिक्षा निदेशक बेसिक को भेजनी थी लेकिन, अब तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ है । बेसिक शिक्षा महकमा जिले के नवाचार करने वाले शिक्षकों का प्रदेश स्तर पर समूह गठित करना चाहता है लेकिन, किसी जिले से इस संबंध में रिपोर्ट ही नहीं भेजी जा रही है।
यूपी बोर्ड : छिटपुट नहीं के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव, कुछ चुनिंदा विषयों के महत्वपूर्ण अंश ही रखे गए हैं बरकरार
यूपी बोर्ड : छिटपुट नहीं के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव, कुछ चुनिंदा विषयों के महत्वपूर्ण अंश ही रखे गए हैं बरकरार
इलाहाबाद : यूपी बोर्ड के 26 हजार से अधिक माध्यमिक विद्यालयों में नए सत्र से नया पाठ्यक्रम लागू होगा। प्रदेश सरकार ने यह बदलाव एक देश एक तरह की पढ़ाई के मकसद से किया है। वहीं, प्रतियोगी परीक्षाओं में एनसीईआरटी की किताबों से ही प्रश्न पूछे जाते हैं, ऐसे में यूपी बोर्ड से पढ़े प्रतियोगी पीछे न रहने पाएं भी अहम निर्णय की बड़ी वजह बनी है। बोर्ड के विशेषज्ञ बदलाव करते समय भी लगातार पाठ्यक्रम को अच्छा बताते रहे हैं, फिर भी पुराने पाठ्यक्रम का कुछ अंश ही बचा पाएं हैं, बाकी सब नया ही है। 1यूपी बोर्ड में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद का पाठ्यक्रम लागू होना है। भाजपा सरकार के निर्णय के बाद बोर्ड प्रशासन ने जुलाई से सितंबर माह तक विषय विशेषज्ञों के साथ जुटकर यह कार्य पूरा किया है। एनसीईआरटी व शासन ने पाठ्यक्रम बदलाव के प्रस्ताव पर मुहर भी लगा दी है। अब पुस्तकों की उपलब्धता की तैयारी चल रही है।
यूपी बोर्ड का पाठ्यक्रम बेहतर माना जाता रहा है लेकिन, बदलाव करने की बारी आई तो काफी कुछ एनसीईआरटी का सिलेबस ही स्वीकार किया गया है। सिर्फ चुनिंदा विषयों व अन्य का अहम हिस्सा करीब 30 प्रतिशत के लगभग पुराना पाठ्यक्रम रह गया है। उसमें भी कई संशोधन कर दिए गए हैं, उस लिहाज से वह भी नया ही हो गया है। बोर्ड प्रशासन की मानें तो समय के साथ पाठ्यक्रम में हर साल कुछ न कुछ नया अंगीकार करने का सिलसिला चला आ रहा है लेकिन, अब तक के इतिहास में यह सबसे बड़ा बदलाव है। जिसमें अधिकांश अपनाया गया है। विशेषज्ञों की मानें तो इंटरमीडिएट में विज्ञान व गणित में एनसीईआरटी व यूपी बोर्ड में काफी अंतर रहा है। छात्र-छात्रओं को नए तरह से पढ़ाई करनी होगी। इसी तरह से इंटर स्तर के अन्य विषय भी हैं। वहीं, हाईस्कूल स्तर पर काफी कुछ दोनों जगह साम्य रहा है। शिक्षकों को भी नए सत्र में पढ़ाने में अलग से मेहनत करनी होगी।
विद्यालय बनेंगे तंबाकू मुक्त संस्थान, हर स्कूल की 100 गज की परिधि में तंबाकू उत्पाद विक्रय प्रतिबंधित
विद्यालय बनेंगे तंबाकू मुक्त संस्थान, हर स्कूल की 100 गज की परिधि में तंबाकू उत्पाद विक्रय प्रतिबंधित
इलाहाबाद1प्रदेश भर के विद्यालयों के आसपास तंबाकू उत्पादों का विक्रय प्रतिबंधित कर दिया गया है। स्कूल के 100 गज की परिधि में तंबाकू उत्पाद बेचने या फिर सेवन करने पर 200 रुपये तक का दंड लगेगा। इस संबंध में नए सिरे से कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें स्थानीय पुलिस प्रशासन को भी तत्परता दिखानी होगी, क्योंकि अक्सर प्रतिबंधित दुकानें पुलिस के संरक्षण में ही चलती हैं।
एक ओर जहां विश्व भर में विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियों के कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। वहीं, भारत व कुछ अन्य देशों में तंबाकू व उसके उत्पादों के सेवन से छात्र-छात्रओं का मनमस्तिष्क प्रभावित होने के साथ ही स्वास्थ्य पर भी कुप्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रलय ने सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद कोटपा अधिनियम 2003 के प्रावधान लागू किए हैं। हर विद्यालय के बाहर मुख्य द्वार के पास बोर्ड लगाया जाएगा जिसमें तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान लिखा होगा। हर स्कूल में तंबाकू निषेध कमेटी का भी गठन किया जाएगा, जिसमें शिक्षक, छात्र व स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे। 1शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह की ओर से भेजे निर्देश में कहा गया है कि विद्यालय में शिक्षक, छात्र, कर्मचारी, आगंतुक कोई भी तंबाकू उत्पाद का सेवन नहीं करेगा। साथ ही तंबाकू नियंत्रण की कार्यशालाएं समय-समय पर आयोजित होंगी। विद्यालय प्रबंध समिति की बैठकों में भी इस पर चर्चा की जाए और लगातार तंबाकू निषेध कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार हो। इस तरह के निर्देश सरकार व शासन की ओर से े भी जारी हुए हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन की अनदेखी से स्कूलों के गेट पर ही तंबाकू उत्पाद की दुकानें सजी हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन को भी कानून का अमल कराने पर जोर देना होगा।’
प्रदेश के एडेड विद्यालयों में रिटायर्ड शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ: माध्यमिक शिक्षा परिषद ने किया विनियम में संशोधन
प्रदेश के एडेड विद्यालयों में रिटायर्ड शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ: माध्यमिक शिक्षा परिषद ने किया विनियम में संशोधन
इलाहाबाद: प्रदेश भर के अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के रिक्त पदों पर सेवानिवृत्त शिक्षकों को तैनाती देने के लिए नियमावली में संशोधन भी हो गया है। इससे कालेजों के रिक्त पदों पर अब विद्यालय प्रबंधक व जिला विद्यालय निरीक्षक मिलकर अपने चहेतों को नियुक्ति नहीं दे सकेंगे, बल्कि रिटायर शिक्षक को ही मानदेय पर रखना होगा। इस कदम से भले ही तात्कालिक रूप से युवाओं से पद छिन रहा हो लेकिन, दीर्घकालिक व्यवस्था में पद हड़पने की प्रक्रिया पर प्रभावी विराम लगना तय है।
प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक या फिर प्रवक्ता का पद रिक्त होने पर कालेज के प्रबंधक व जिला विद्यालय निरीक्षक मिलकर चहेतों को आसानी से नियुक्ति देते रहे हैं। बाद में अंशकालिक के रूप में नियुक्ति पाने वाले कालेज प्रबंधन या फिर न्यायालय से आदेश लेकर नियमित हो जाते थे। यही नहीं, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र को ऐसे कालेजों से रिक्त पदों का अधियाचन भी नहीं आता था। कई बार अधियाचन भेजने के बाद भी चयनित अभ्यर्थी को कालेज यह कहकर लौटाते रहे हैं कि संबंधित पद भर गया है। ऐसे करीब सात सौ मामले सामने आ चुके हैं। 1वहीं, पिछले दिनों 2009 सामाजिक विज्ञान का अंतिम परिणाम जारी करते समय चयन बोर्ड ने खुद स्वीकार किया है कि उसकी ओर से विज्ञापन 604 पदों का निकाला गया और पदों का सत्यापन कराने पर यह संख्या मात्र 547 रह गई। अशासकीय कालेजों की जुगाड़ से नियुक्ति पर योगी सरकार ने शिकंजा कस दिया है। बीते अक्टूबर माह में माध्यमिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने अशासकीय कालेजों के रिक्त पदों पर सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश जारी किया। उसी को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने नियमावली में संशोधन भी किया है।
संशोधित विनियम
सहायक अध्यापक या प्रवक्ता के आकस्मिक निधन, सेवाच्युत, सेवानिवृत्ति से पद रिक्त होने पर अल्पकालिक व्यवस्था के तहत उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से चयनित अभ्यर्थी आने या फिर एक जुलाई से ग्रीष्मावकाश होने की अवधि तक जो भी पहले घटित होती हो तक के लिए अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में रिक्त सहायक अध्यापक व प्रवक्ता के पद नियुक्ति के लिए 70 वर्ष तक की आयु के सेवानिवृत्त शिक्षक व प्रवक्ताओं का बालक व बालिका विद्यालय के लिए जिले स्तर पर अलग-अलग पूल बनाया जाए। रिटायर शिक्षकों को शासन की ओर से तय मानदेय का भुगतान करेगा।
पहले का नियम
जहां अध्यापक के पद में कोई रिक्ति छह माह से अधिक अवधि की छुट्टी प्रदान किए जाने के कारण हुई हो या कोई शिक्षक निलंबित हुआ हो और निलंबन अवधि छह माह से अधिक हो जाने की संभावना हो तो वहां पर पद सीधी भर्ती या फिर पदोन्नति करके अस्थायी रूप से भरा जा सकता है।
बाँदा : 06 दिन से पढ़ाई बन्द, गॉंव वालो ने स्कूल को बनाया गोशाला, डीएम ने गोशाला आयोग को भेजा प्रस्ताव
उन्नाव: भीषण ठण्ड के चलते 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक सभी बोर्डों के कक्षा 1 से 8 तक संचालित स्कूलो में प्रभारी जिलाधिकारी ने 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक शिक्षण कार्य बाधित करते हुए अवकाश घोषित किया है। 🎯उत्तर प्रादेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष बृजेश कुमार पाण्डेय ने जिले में पड़ रही कड़ाके की ठण्ड को देखते हुए प्रभारी जिलाधिकारी से कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 के परिषदीय स्कूलों में शीतकालीन अवकाश करने की माँग की थी।
भीषण ठण्ड के चलते 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक सभी बोर्डों के कक्षा 1 से 8 तक संचालित स्कूलो में प्रभारी जिलाधिकारी ने 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक शिक्षण कार्य बाधित करते हुए अवकाश घोषित किया है।
🎯उत्तर प्रादेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष बृजेश कुमार पाण्डेय ने जिले में पड़ रही कड़ाके की ठण्ड को देखते हुए प्रभारी जिलाधिकारी से कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 के परिषदीय स्कूलों में शीतकालीन अवकाश करने की माँग की थी।
उन्नाव। भीषण शीत लहर , ठण्ड व कोहरे के प्रकोप को देखते हुए प्रभारी जिलाधिकारी ने जनपद के सभी बोर्डों के कक्षा 1 से 8 तक संचालित स्कूलो में 30 दिसम्बर से 1 जनवरी तक शिक्षण कार्य बाधित करते हुए अवकाश घोषित किया है।
प्रभारी जिलाधिकारी ने आदेश का कड़ाई से पालन किये जाने का निर्देश देते हुए जारी पत्र में बताया है कि 2 दिसम्बर 2017 को उपरोक्त शिक्षण संस्थान निर्धारित समय से सन्चालित होंगे।
नही तय हो सकी स्वेटर की दरें, लुधियाना की दो फर्मे तकनीकी निविदा में पास
जागरण संवाददाता, लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा गुरुवार को स्वेटर के लिए टेंडर निकाला गया। टेंडर प्रक्रिया को देखते हुए इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि परिषदीय स्कूल के बच्चों को इस बार बिना स्वेटर ही ठंड में पढ़ाई करनी होगी।1गौरतलब हो कि सीएम के निर्देश के बाद विभाग ने समय पर स्वेटर वितरण किए जाने का दावा किया था, पर स्वेटर बांटे नहीं जा सके। जानकारों के अनुसार परिषद की ओर स्वेटर के लिए निकाले गए टेंडर के लिए गुरुवार को विभिन्न कंपनियों द्वारा आवेदन किया गया।
एक लाख 72 हजार बच्चों को मिलना है स्वेटर :
राजधानी के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब एक लाख 72 हजार बच्चों को स्वेटर वितरण किया जाना है। विभागीय जानकारों का मानना है कि टेंडर हासिल करने वाली कंपनी के लिए कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को स्वेटर मुहैया कराने के लिए कम से कम एक से डेढ़ माह तक का समय चाहिए होगा। निविदा में भी 30 दिनों का समय दिया गया है। ऐसे में स्पष्ट है कि बच्चों को बिना स्वेटर ही पढ़ाई करनी होगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी का कहना है कि विभाग का प्रयास है कि बच्चों को जल्द स्वेटर वितरित हों।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय स्कूलों के 1.54 करोड़ बच्चों को सरकार की ओर से मुफ्त में मुहैया कराये जाने वाले स्वेटर की आपूर्ति के लिए गुरुवार को टेंडर तो खोले गए लेकिन निविदा में चयनित दो आपूर्तिकर्ताओं के साथ रेट को लेकर देर रात तक तय तोड़ चलता रहा। टेक्निकल बिड में जिन दो आपूर्तिकर्ताओं ने क्वालिफाई किया, उन्होंने सरकार के आकलन से कहीं ज्यादा रेट कोट किये थे।1परिषदीय स्कूलों के बच्चे को जाड़े से निजात दिलाने के लिए योगी सरकार ने उन्हें स्वेटर देने का एलान किया था। स्वेटर बांटने के लिए सरकार ने प्रत्येक बच्चे के लिए 200 रुपये की दर से धनराशि मंजूर की है। बेसिक शिक्षा विभाग ने स्वेटर की आपूर्ति के लिए पहले जेम पोर्टल के जरिये टेंडर आमंत्रित किये थे लेकिन इससे बात नहीं बनी। लिहाजा विभाग ने ई-बिड के जरिये आपूर्तिकर्ताओं से टेंडर आमंत्रित किये थे। बीती 22 दिसंबर को जब टेक्निकल बिड खोली गई तो सिर्फ दो फर्म ने ही टेंडर डाले थे। सिर्फ दो टेंडर के कारण प्रतिस्पर्धात्मक दर न मिल पाने के कारण टेंडर कमेटी ने 27 दिसंबर की शाम तक नए सिरे से टेंडर आमंत्रित किये। इसमें पांच सप्लायरों ने टेंडर डाले थे जिसमें से गुरुवार को टेक्निकल बिड में सिर्फ दो आपूर्तिकर्ताओं का ही चयन हुआ। सूत्रों के मुताबिक इनमें से सबसे कम रेट कोट करने वाले दो सप्लायर (एल1 और एल2) ने सरकार द्वारा आंकलित दर से कहीं ज्यादा रेट कोट किये थे। बेसिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित टेंडर कमेटी इन दोनों सप्लायरों से सरकार द्वारा आंकलित दर पर आपूर्ति के लिए देर रात तक वार्ता करती रही। टेंडर कमेटी ने वर्क आर्डर जारी किये जाने से 30 दिन में स्वेटर की पूरी आपूर्ति करने की शर्त रखी है।
यादें 2017 शिक्षा विभाग ( हलचलें ) चुनौती भरे शिक्षा के क्षेत्र में पड़ी बड़े बदलावों की बुनियाद खास-खास फैसले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नई और पुरानी भर्तियों को पूरा करने की प्रक्रिया जनवरी में आचार संहिता के कारण रोक दी 1.37 लाख समायोजित शिक्षक फिर बने शिक्षामित्र, शिक्षक बनने को दो मौके बच्चों को बैग, जूता-मोजा मिला, स्वेटर वितरण की देखी जा रही राह निजी कॉलेजों की मनमानी फीस पर अंकुश लगाने का मसौदा तैयार प्रदेश के 26 हजार माध्यमिक कॉलेजों के लिए एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम मदरसों में भी एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी यूपी बोर्ड मुख्यालय ने कंप्यूटर से बनाए हाईस्कूल व इंटर के परीक्षा केंद्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से चयनित अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित राजकीय महाविद्यालयों में पहली बार रिक्त पदों पर ऑनलाइन तबादले।)
यादें 2017 शिक्षा विभाग ( हलचलें )
चुनौती भरे शिक्षा के क्षेत्र में पड़ी बड़े बदलावों की बुनियाद
खास-खास फैसले
प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नई और पुरानी भर्तियों को पूरा करने की प्रक्रिया जनवरी में आचार संहिता के कारण रोक दी
1.37 लाख समायोजित शिक्षक फिर बने शिक्षामित्र, शिक्षक बनने को दो मौके
बच्चों को बैग, जूता-मोजा मिला, स्वेटर वितरण की देखी जा रही राह
निजी कॉलेजों की मनमानी फीस पर अंकुश लगाने का मसौदा तैयार
प्रदेश के 26 हजार माध्यमिक कॉलेजों के लिए एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम
मदरसों में भी एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी
यूपी बोर्ड मुख्यालय ने कंप्यूटर से बनाए हाईस्कूल व इंटर के परीक्षा केंद्र
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से चयनित अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित
राजकीय महाविद्यालयों में पहली बार रिक्त पदों पर ऑनलाइन तबादले।)
प्राथमिक शिक्षा को उम्मीदों की बैसाखी
पांच साल तक तमाम विवादों में घिरी प्राथमिक शिक्षा को नई सरकार से उम्मीदें थीं लेकिन उसे चुनावी घोषणाओं के तिरपाल से ढंकने की कोशिशें हुईं। सरकार ने पहली बार डेढ़ करोड़ से अधिक बच्चों को जूते-मोजे मुहैया कराए, हालांकि उनकी गुणवत्ता को लेकर सवाल अब भी बरकरार है। शैक्षिक कैलेंडर जारी हुआ लेकिन वह दीवारों पर टंगने जैसा ही रहा। जाड़ों में स्वेटर बांटने की घोषणा को अफसर अंजाम देते-देते आधा जाड़ा पार कर गए। जुलाई से निश्शुल्क पुस्तकें, ड्रेस और बैग बांटने की तैयारी हुई लेकिन, इस पर सितंबर से ही अमल हो पाया। इसके इतर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नई और पुरानी भर्तियों को पूरा करने की प्रक्रिया जनवरी में आचार संहिता के कारण रोक दी गई। इन सारी कवायदों पर भारी पड़ा सुप्रीम कोर्ट का फैसला जिसने 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद कर दिया।
हरिशंकर मिश्र/धर्मेश अवस्थी’लखनऊ/इलाहाबाद
प्रदेश के सबसे अधिक चुनौती वाले विभाग शिक्षा के लिए बीता साल उसी प्रकार रहा, जैसे किसी स्कूल की प्रयोगशाला में प्रयोग दर प्रयोग किए जा रहे हों। साल की शुरुआत चुनावी वादों से हुई तो आगे का सफर असमंजस भरे फैसलों का रहा। फिर भी कई मायनों में बड़े बदलावों की नींव पड़ती नजर आई।
माध्यमिक शिक्षा : पुरानी किताब को नई जिल्द
सवाल सिस्टम का था और साठ लाख से अधिक छात्रों की परीक्षा कराने वाले यूपी बोर्ड की साख उसी से ही बनती थी लेकिन भाजपा के सरकार में आने के बाद भी शिक्षा निदेशक पद का चेहरा नहीं बदला तो लोगों को मायूसी भी हुई। हालांकि अक्टूबर में विभाग को नया निदेशक मिल ही गया। इससे पहले साल की शुरुआत बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम तय करने के विवाद से हुई। विधानसभा चुनाव के बाद परीक्षाएं होने से माध्यमिक कालेजों में शैक्षिक सत्र अप्रैल की जगह जुलाई में शुरू हो सका। हालांकि सरकार ने तेजी से कदम बढ़ाते हुए कई निर्णय किए। इनमें यूपी बोर्ड के कालेजों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने और कंप्यूटराइजेशन की ओर बढ़ने की दिशा में कदम बढ़ाना सबसे अहम रहा। कालेजों की नई मान्यता के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की गई। कंप्यूटर के जरिये बोर्ड मुख्यालय पर ही परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया गया। परीक्षाएं सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में कराने की तैयारी है, वहीं प्रायोगिक परीक्षाएं भी कैमरे के सामने हो रही हैं। हालांकि माध्यमिक शिक्षा परिषद का पुनर्गठन 29 अगस्त से लटका है।
सबसे ऐतिहासिक फैसला निजी कॉलेजों में हर साल एडमिशन फीस पर अंकुश लगाने के लिए मसौदा तैयार करना रहा। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। इसी तरह मदरसों में भी एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की पढ़ाई का निर्णय भी साहसिक फैसला रहा। दूसरी ओर अशासकीय कॉलेजों के शिक्षकों की ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया पर कोई कार्य नहीं हो सका। निदेशक व अपर निदेशक जैसे पदों की पदोन्नति रुकी रही।
तकनीकी शिक्षा का बदलता चोला1प्राविधिक शिक्षा संस्थानों की रिक्त सीटों को भरने के लिए इस साल पहली बार संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद में स्पॉट काउंसिलिंग कराई गई लेकिन साठ हजार सीटें तब भी खाली रहीं। इससे जहां निजी इंजीनियरिंग कालेजों के भविष्य पर सवाल खड़ा रहा, वहीं अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने शोध के नया आयाम देकर संभावनाओं को बनाए रखा। इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन का नया सत्र शुरू हुआ तो सेमिनार ग्रांट स्कीम के 24 प्रस्ताव स्वीकृत हुए। इसी कड़ी में विक्रम साराभाई टीचिंग फेलोशिप के लिए सौ पीएचडी छात्र-छात्र चयनित हुए जो तकनीकी क्षेत्र को नई दिशा की ओर ले जाएंगे।
उच्च शिक्षा की वही पुरानी रफ्तार
अकादमिक नजरिए से देखें तो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ठहराव सा रहा। केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार के बावजूद कई विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्र संघ चुनावों में सपा की जीत अवश्य चौंकाने वाली रही। पूर्व में चयनित एक हजार असिस्टेंट प्रोफेसरों कालेजों में नियुक्ति मिली और राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की विभागीय पदोन्नति को अमलीजामा पहनाया गया। महाविद्यालयों में ड्रेस कोड लागू करने का निर्देश विवाद के चलते वापस लेना पड़ा।1