बेसिक शिक्षक वेलफेयर एसोशिएसन उ0प्र0 के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र कुमार यादव का कहना है कि जिस काम को सरकार 3 महीने में नहीं कर सकी, उसको शिक्षक 30 दिन में कैसे पूरा कर सकते हैं। जब सरकार 200 में स्वेटर नहीं खरीद पायी तो शिक्षक कैसे खरीद पायेंगे।
इलाहाबाद। शासन द्वारा भेजे गए जूते-मोजे का वितरण पूरे प्रदेश में अभी तक हो सका है और शिक्षकों पर स्वेटर वितरण की जिम्मेदारी थोप दी गई है। जनवरी माह के अंत तक स्वेटर वितरण हो सकेगा और शिक्षण कार्य के लिए केवल फरवरी माह बचेगा। बताते चलें कि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को निशुल्क स्वेटर मिलना अभी मुश्किल लग रहा है। क्योंकि शासन ने इसके लिए आनन फानन में शिक्षकों के कंधे पर जिम्मेदारी डाल दी है। लेकिन अब शिक्षकों ने इससे हाथ खड़े कर दिए हैं। शिक्षक संगठनों ने शासन प्रशासन से साफ कह दिया है कि इतने कम मूल्य में स्वेटर उपलब्ध कराना संभव नहीं है। प्रशासन खुद खरीद और वितरण की व्यवस्था करें 3 महीने की कवायद के बाद जब बेसिक शिक्षा विभाग स्वेटर के टेंडर की की गांठ नहीं खोल सका तो बुधवार को एकाएक आदेश जारी कर इसकी जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंध समिति के जरिए शिक्षकों पर डाल दी है। ख़ास बात यह है कि शनिवार से स्वेटर वितरण शुरू करने को कहा गया है और एक महीने में वितरण पूरा भी करना है। शिक्षक संगठनों ने इस आदेश का मुखर विरोध शुरू कर दिया है। 248.13 रूपये प्रति स्वेटर का रेट डालने वाली लखनऊ की फर्म को टेण्डर नहीं दिया गया तो बड़ा सवाल उठता है कि जब सरकार 200 में स्वेटर नहीं खरीद पायी तो शिक्षक कैसे खरीद पायेंगे। बेसिक शिक्षक वेलफेयर एसोशिएसन उ0प्र0 के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र कुमार यादव का कहना है कि शिक्षकों के जरिये स्वेटर खरीद और वितरण का आदेश व्यावहारिक नहीं है। यह जल्द बाजी में लिया गया फैसला है। बेसिक शिक्षक वेलफेयर एसोशिएसन उ0प्र0 के महामंत्री पुष्पराज का कहना है जिस काम को सरकार 3 महीने में नहीं कर सकी, उसको शिक्षक 30 दिन में कैसे पूरा कर सकते हैं।
EmoticonEmoticon